Thursday 16 August 2018

~~~वक्त की सीख ~~~

~~~वक्त की सीख ~~~

  बेकार से ख्याल
  और फिज़ूल सी इच्छाऐं
  हैं मन से निकल गईं
  समेटनी नही है वो उम्मीदें
  जो टूट कर हैं बिखर गईं

  रुसवा होते देख मंज़िल को
  निगाहें खामोशी से घिर गईं
  माथे पे लिखे संजोग देख
  लकीरें हाथों की
  किस्मत से भिड़ गईं

  ऐसी दी कुछ वक्त ने भी सीख
  कि रूह की थकान छिन गई
  आँखों को मिल गए कान
  और हाथों को ज़ुबान मिल गई...!!!
                                    SoniA#

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