Tuesday 9 January 2018

दो बातें बस यूं ही

दिमाग में चलता था ख्यालों का मुज़ाहरा
पर ज़ुबान पे खामोशी और दिल में तनहाई थी
यूं ही नही बेचे हमने अपने सपनों के घरौंदे
टूटी थी उमीदें जो हमने दूसरों पे लगाईं थी
खाबों के सफ़र ने हर कदम पर आज़माया हमें
कभी कभी बढ़ा ली हसरतें कभी कभी दबाईं भी
दूःख नही बस खुद पे अफ़सोस है कि
न हमें कभी चैन मिला न कभी खुशी दिखाई दी---!!

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