लगता है डर कहीं बिखर न जाएं वो सपने
जो मेरे लिए मेरे अपनों ने
अपनी आँखों में बुने हैं,
कितना टूट चुकी हूं अन्दर से बता नही सकती
क्योंकि मेरे अपनों के न जाने
कितने हौसले मुझ से जुड़े हैं,
नसीब नहीं होती वो मंज़िल जिसकी चाहत है
भगवान ने भी न जाने
कौन से पथ मेरे लिए चुने हैं,
कदम तो बढ़ाती हुं हर बार कामयाबी की और
पर थोड़ा चल कर मालुम होता है
कि रास्ते तो नाकामयाबी की तरफ मुड़े हैं,
जानती हुं कि अच्छे हैं इरादे भगवान के
और मुझसे मिलने वाले हर इन्सान के
बस बुरे हैं तो यह-
तकलीफ भरे लम्हें बहुत बुरे हैं...!!
SoniA#
जो मेरे लिए मेरे अपनों ने
अपनी आँखों में बुने हैं,
कितना टूट चुकी हूं अन्दर से बता नही सकती
क्योंकि मेरे अपनों के न जाने
कितने हौसले मुझ से जुड़े हैं,
नसीब नहीं होती वो मंज़िल जिसकी चाहत है
भगवान ने भी न जाने
कौन से पथ मेरे लिए चुने हैं,
कदम तो बढ़ाती हुं हर बार कामयाबी की और
पर थोड़ा चल कर मालुम होता है
कि रास्ते तो नाकामयाबी की तरफ मुड़े हैं,
जानती हुं कि अच्छे हैं इरादे भगवान के
और मुझसे मिलने वाले हर इन्सान के
बस बुरे हैं तो यह-
तकलीफ भरे लम्हें बहुत बुरे हैं...!!
SoniA#
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