~~जीवन की दौड़~~
कहाँ हुई है मुक्कमल
मेरे जीवन की दौड़ ,
सजानी बाकी है अभी मंज़िल
टूटे सपनों को जोड़ ,
भाग रही है ज़िन्दगी आगे
पीछे मासूमियत को छोड़ ,
नसीब ले रहा है मज़े
मेरी उमीदों को तोड़ ,
अड़चने बैठी हैं घेरे
हर रसता हर मोड़ ,
कुछ उलझनों में है उलझी
मेरे ख्यालों की हर डोर ,
कहाँ हुई है मुक्कमल
मेरे जीवन की दौड़ ,
सजानी बाकी है अभी मंज़िल
टूटे सपनों को जोड़........!!!!
SoniaA#
कहाँ हुई है मुक्कमल
मेरे जीवन की दौड़ ,
सजानी बाकी है अभी मंज़िल
टूटे सपनों को जोड़ ,
भाग रही है ज़िन्दगी आगे
पीछे मासूमियत को छोड़ ,
नसीब ले रहा है मज़े
मेरी उमीदों को तोड़ ,
अड़चने बैठी हैं घेरे
हर रसता हर मोड़ ,
कुछ उलझनों में है उलझी
मेरे ख्यालों की हर डोर ,
कहाँ हुई है मुक्कमल
मेरे जीवन की दौड़ ,
सजानी बाकी है अभी मंज़िल
टूटे सपनों को जोड़........!!!!
SoniaA#
No comments:
Post a Comment