Wednesday 18 July 2018

~~जीवन की दौड़~~

~~जीवन की दौड़~~

कहाँ हुई है मुक्कमल
मेरे जीवन की दौड़ ,
सजानी बाकी है अभी मंज़िल
टूटे सपनों को जोड़ ,

भाग रही है ज़िन्दगी आगे
पीछे मासूमियत को छोड़ ,
नसीब ले रहा है मज़े
मेरी उमीदों को तोड़ ,

अड़चने बैठी हैं घेरे
हर रसता हर मोड़ ,
कुछ उलझनों में है उलझी
मेरे ख्यालों की हर डोर ,

कहाँ हुई है मुक्कमल
मेरे जीवन की दौड़ ,
सजानी बाकी है अभी मंज़िल
टूटे सपनों को जोड़........!!!!

                         SoniaA#

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