Monday 23 July 2018

~~ उसकी रज़ा ~~

~~ उसकी रज़ा ~~

डग मगा रहे हैं हाथ
और कलम भी है फिसल रही
किसी अजीब ही सोच में
है ज़िन्दगी निकल रही

लफ़ज़ जो होठों से
होते नही बयाँ
वो अब कलम कहेगी
शायद मेरी आँखों में ही छुपी
एक अधूरी मंजिल रहेगी

पर फिर भी जो अधूरा है
उसे पूरा तो करना है
रख के दिल में उम्मीद
कर के खुदा पे यकीं
उसकी रज़ा में चलना है
उसकी रज़ा में चलना है...!!!
                            SoniA#

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