Friday, 30 March 2018

रे मन! तेरी वजह से

रे मन ! न जाने कितनों को
दुख मिला होगा तेरी वजह से
कितनों का दिल दुखा होगा
तेरी एक खता से
अच्छे से वाकिफ़ तो तू होगा
ऊपर वाले की सज़ा से
फिर सुधर जा अब और कर ले
कोई अच्छा क्रम उसकी रज़ा से
                               SoniA#      

इतना काफ़ी है

दिखने में बेरूखी होगी मेरी सूरत पे
पर अन्दर से मन बड़ा जज़बाती है
कोई मेरे लिए दुआ करे न करे
मगर मेरी दुआएं सब के साथ ही हैं
ख्वाहिश नही मुझे किसी के साथ की
बस एक रब्ब साथ देदे, इतना काफ़ी है
                                         SoniA#

Tuesday, 27 March 2018

My strength is my blessing

O my dear luck
why are you blushing;
Here In my mind
unusual thoughts're rushing;
Why it seems like
I am capable for nothing;
What's inside me
Why i'm not getting;
Why i've forgot that
My strength is my blessing....

                                             SoniA#

अकसर

मेरी शराफत लोगों के पास से
अकसर चुपके से गुज़र जाती है
मगर मेरी जो नालायिकियाँ हैं
वो हर तरफ, हर पल शोर मचाती हैं
मेरी अच्छाई को चाहे याद न रखें लोग
पर मेरी ग़लतियाँ दुनिया कहाँ भूल पाती है
मेरी ज़िन्दगी की सच्चाई है यह कि
आ जा के मुझे मेरी ही उमीदें रुलाती हैं
रुकने से अच्छा है थोड़ा और चल के देख लूं
देखूं तो मुझे राहें किस मुकाम पे लेके जाती हैं

                                                 SoniA#

जो पल

जो पल शायद कभी आएंगे ही नही
क्यों उन्हीं पलों का मुझे इन्तज़ार है ;
मुश्किल है समझना ज़माने को
क्योंकि ज़माना मुझसे ज़्यादा समझदार है ;
दुविधा है तो बस यही कि
मैं राहों से और राहें मुझसे अनजान हैं ;
पता नही थका है दिल या रुके हैं कदम
पर जो भी है एक अजीब सा ही इम्तहान है ;
कभी जिन्दा थे सपने मेरी हिम्मत की वजह से
मगर अब हिम्मत और सपने दोनो बेजान हैं ;
हो सके तो मेरे दोस्तो! मुझसे दूरी बना लो
क्योंकि मेरे साथ रहना अब एकदम बेकार है.....

                                              SoniA#

Wednesday, 14 March 2018

कौन है

बिना ज़ाया किये अपने लफ़ज़ों को
जानना है मुझे कि
मुझे जानता कौन है****
छुपाना है शिकवों को दिल में
देखना है मेरी आँखों से
इनहे पहचानता कौन है****
ग़लत न मैं हू न कौई और
यह समय का है दौर
देखो! अब इसे हस कर टालता कौन है****
बेरूखी है मेरे चेहरे पे, दिल में नही
पर मेरे दिल के विचार
मानता ही कौन है****
दूर हो गई हू सबके दिल से
अब मुझ जैसी नसमझ को
अपना मानता ही कौन है****!!!

                                   SoniA#


ਕੁਝ ਘਾਟ ਸੀ ਮੇਰੇ 'ਚ ਮੋਹ ਦੀ

ਕਿਤੇ ਵੇਖੇ ਲੋਕ ਮਾਸੂਮ ਜਿਹੇ
ਤੇ ਕਿਤੇ ਆਪਣਿਆਂ ਨੂੰ 
ਆਪਣੇ ਠੱਗਦੇ ਵੇਖਿਆ ਮੈਂ॰॰॰
ਨਿਭਾਏ ਜਾਂਦੇ ਨੇ ਰਿਸ਼ਤੇ
ਅੱਜਕੱਲ ਔਕਾਤ ਵੇਖ ਕੇ
ਪਰ ਇਸ ਗੱਲ ਨੂੰ ਕੀਤਾ ਅਣਦੇਖਿਆ ਮੈਂ॰॰॰
ਸੀ ਮੇਰੇ ਵੀ ਸੁਫਨੇ ਕਮਾਲ ਜਿਹੇ
ਭਾਅ ਮਜਬੂਰੀਆਂ ਦੇ ਹੁਣ
ਜਿਹਨਾ ਨੂੰ ਵੇਚਿਆ ਮੈਂ॰॰॰
ਕੁਝ ਘਾਟ ਸੀ ਮੇਰੇ 'ਚ ਮੋਹ ਦੀ
ਤਾਂ ਹੀ ਤਾਂ ਸੇਕ ਨਫ਼ਰਤ ਦਾ 
ਹੁਣ ਤੱਕ ਸੇਕਿਆ ਮੈਂ॰॰॰
ਚੰਗਾ ਬਣਨਾ ਮੈਨੂੰ ਆਉਂਦਾ ਨਹੀਂ
ਤੇ ਮਾੜਾ ਅੱਜ ਤੱਕ ਨਾ 
ਕਿਸੇ ਲਈ ਸੋਚਿਆ ਮੈਂ॰॰
ਆਸਾਂ ਰੱਖੀਆਂ ਨੇ ਬਸ ਇਕ ਰੱਬ ਤੇ
ਐਂਵੇ ਦਰ ਦਰ ਜਾ ਮੱਥਾ 
ਨਾ ਟੇਕਿਆ ਮੈਂ॰॰॰॰॰।।।

                                   SoniA#

Saturday, 10 March 2018

ਆਦਤ ਸੀ ਮੇਰੀ ਉਮੀਦਾਂ ਨੂੰ ਪਰਾੳਣ ਦੀ

ਕੀ, ਕਿਵੇਂ, ਕਦੋਂ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ਹੋਣਾ ਏ
ਇਹਨਾਂ ਸੋਚਾਂ 'ਚ ਵਕਤ ਲੰਘਾਇਆ ਬਹੁਤ,

ਵਹਿ ਨਾ ਜਾਣ ਕਿਤੇ ਸੁਪਣੇ ਮੇਰੇ
ਇਸੇ ਡਰ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਡਰਾਇਆ ਬਹੁਤ,

ਹਾਸਿਲ ਤਾਂ ਕੁਝ ਮੈਥੋਂ ਕਰ ਹੋਇਆ ਨਾ
ਪਰ ਹੱਥੋਂ ਆਪਣੇ ਮੈਂ ਗਵਾਇਆ ਬਹੁਤ,

ਆਦਤ ਸੀ ਮੇਰੀ ਉਮੀਦਾਂ ਨੂੰ ਪਰਾੳਣ ਦੀ
ਤੇ ਮੇਰੀਆਂ ਇਹਨਾਂ ਹੀ ਉਮੀਦਾਂ ਮੈਨੂੰ ਰਵਾਇਆ ਬਹੁਤ,

ਹਾਸਾ ਭਾਵੇਂ ਚਿਹਰੇ ਤੇ ਬਹੁਤ ਏ
ਪਰ ਦਰਦ ਦਿਲ 'ਚ ਮੈਂ ਲੁਕਾਇਆ ਬਹੁਤ!!!

                                                SoniA#

Friday, 9 March 2018

ਸਾਰਾ ਖੇਡ ਨਸੀਬਾਂ ਦਾ

ਹਾਲਾਤਾਂ ਅੱਗੇ ਜਦ
ਇੱਕ ਨਾ ਚੱਲੇ ਬੰਦੇ ਦੀ
ਤਦ ਸਮਝ 'ਚ ਆੳਂਦਾ ਏ ਸਾਰਾ ਖੇਡ ਨਸੀਬਾਂ ਦਾ,
ਫਿਰ ਤਾਂ ਸੁਫਨੇ ਵੀ ਜਾਪਣ
ਧੁੰਦਲੇ ਜਿਹੇ
ਤੇ ਢੱਠ ਜਾਂਦਾ ਏ ਸਿਲਸਿਲਾ ਉਮੀਦਾਂ ਦਾ,
ਦੌਲਤ ਬਦਲ ਦਿੰਦੀ ਏ
ਸ਼ੌਹਰਤ ਬੰਦੇ ਦੀ
ਤੇ ਆਹੁਦਾ ਹੋਰ ਨੀਵਾਂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਏ ਗਰੀਬਾਂ ਦਾ,
ਮੰਦੜੇ ਹਾਲਾਂ ਅਤੇ
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਸਵਾਲਾਂ ਨੇ
ਹਾਲ ਬੇਹਾਲ ਕਰ ਛੱਡਿਆ ਬਦਨਸੀਬਾਂ ਦਾ ।

                                                SoniA#

कोई राह नही


मुझे जिन जिन लोगों की कद् है
क्यों उनही लोगों को
मेरी कोई परवाह नही,
मुझे चाहिए! तो बस अपनों का साथ
बिना मतलब, बिन माँगी
किसी की सलाह नही,
ग़ैरों पर भरोसा मैं कैसे कर लूं
मेरे पास तो खुद पर भी
यकीं करने की कोई वजह नही
खुली आँखो से बहते हैं सपने
जानती हु ऐसे सपनों की
कोई मंज़िल नही, कोई राह नही !!

                                      SoniA#

Saturday, 3 March 2018

अनदेखे मंज़र

ज़िन्दगी के कुछ अनदेखे से मंज़र हैं
जहाँ सुनसान सी हैं राहें
और दिल की ज़मीन थोड़ी बंजर है
ज़रा चुपचाप सी हैं निगाहें
और यादों से भरा पड़ा एक खंडर हैं
न हम दूर हैं न कोई हमारे पास
बस फासले हैं और
फासलों का समन्दर है
बस कलम ही है जिसने थामा है हाथ
वरना पीठ पे तो चुभे हज़ार खंजर हैं
दिल की क्या सुनाएं हम बात
बस लिख देते हैं वो जो हमारे अन्दर है
                   
                                             SoniA#

www.soniawritingzone.blogspot.in