Wednesday 14 March 2018

कौन है

बिना ज़ाया किये अपने लफ़ज़ों को
जानना है मुझे कि
मुझे जानता कौन है****
छुपाना है शिकवों को दिल में
देखना है मेरी आँखों से
इनहे पहचानता कौन है****
ग़लत न मैं हू न कौई और
यह समय का है दौर
देखो! अब इसे हस कर टालता कौन है****
बेरूखी है मेरे चेहरे पे, दिल में नही
पर मेरे दिल के विचार
मानता ही कौन है****
दूर हो गई हू सबके दिल से
अब मुझ जैसी नसमझ को
अपना मानता ही कौन है****!!!

                                   SoniA#


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