Tuesday 27 March 2018

अकसर

मेरी शराफत लोगों के पास से
अकसर चुपके से गुज़र जाती है
मगर मेरी जो नालायिकियाँ हैं
वो हर तरफ, हर पल शोर मचाती हैं
मेरी अच्छाई को चाहे याद न रखें लोग
पर मेरी ग़लतियाँ दुनिया कहाँ भूल पाती है
मेरी ज़िन्दगी की सच्चाई है यह कि
आ जा के मुझे मेरी ही उमीदें रुलाती हैं
रुकने से अच्छा है थोड़ा और चल के देख लूं
देखूं तो मुझे राहें किस मुकाम पे लेके जाती हैं

                                                 SoniA#

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