Saturday 3 March 2018

अनदेखे मंज़र

ज़िन्दगी के कुछ अनदेखे से मंज़र हैं
जहाँ सुनसान सी हैं राहें
और दिल की ज़मीन थोड़ी बंजर है
ज़रा चुपचाप सी हैं निगाहें
और यादों से भरा पड़ा एक खंडर हैं
न हम दूर हैं न कोई हमारे पास
बस फासले हैं और
फासलों का समन्दर है
बस कलम ही है जिसने थामा है हाथ
वरना पीठ पे तो चुभे हज़ार खंजर हैं
दिल की क्या सुनाएं हम बात
बस लिख देते हैं वो जो हमारे अन्दर है
                   
                                             SoniA#

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