Wednesday 16 May 2018

कोई चाह के भी न समझ पाएगा

लोगों की ग़लती बतायी नही जाती
और खुद की नादानी मुझसे छुपाई नही जाती
कुछ ऐसी ही बेवकूफियों में
अपना हर पल गुज़ारती हूं
क्योंकि कोई चाह के भी न
समझ पाएगा मेरी समझदारी
इस बात को मैं अच्छे से जानती हूं
यही वज़ह है कि मैं दूसरों को ज़्यादा
और खुद को मैं कम आंकती हूं
हर कोई मुझसे कहीं ज़्यादा बहतर है
सोच कर यही बात
मैं खुद में कई कमियाँ निकालती हूं
जानने की तलब है मुझे
कि कितनी अहमियत है मेरी औरों की नज़र में
तभी तो हर नज़र में
मैं अपनी जग़ह पहचानती हूं
       
                                SoniA#

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