( तकदीर के कुछ अलफ़ाज़ )
देख मैं सकती नही तुझे उदास
चुभती हैं तेरी सिसकियां
और तेरी खामोशी भरी आवाज़
तेरी चुप्पी कह गई यह बात
कि कुछ उलझे हैं तेरे हालात
ये दावे ये दिखावे
ये सब कुछ हैं बेकार
भूलाके दुनिया का तू ख्याल
अपने डर को बाहर निकाल
छोड़ छाड़ के सब कुछ
संग मेरे तू वक्त गुज़ार
चल कर हौसला और थाम ले मेरा हाथ
तय होगा हर सफर अब साथ साथ
कोई समझे न समझे तेरे जज़बात
मगर तेरे जज़बातों का मुझे हरपल है एहसास
क्योंकि तकदीर हूं मैं तेरी
कोई हूं नही मैं खाब,
कोई हूं नही मैं खाब....!!
SoniA#
देख मैं सकती नही तुझे उदास
चुभती हैं तेरी सिसकियां
और तेरी खामोशी भरी आवाज़
तेरी चुप्पी कह गई यह बात
कि कुछ उलझे हैं तेरे हालात
ये दावे ये दिखावे
ये सब कुछ हैं बेकार
भूलाके दुनिया का तू ख्याल
अपने डर को बाहर निकाल
छोड़ छाड़ के सब कुछ
संग मेरे तू वक्त गुज़ार
चल कर हौसला और थाम ले मेरा हाथ
तय होगा हर सफर अब साथ साथ
कोई समझे न समझे तेरे जज़बात
मगर तेरे जज़बातों का मुझे हरपल है एहसास
क्योंकि तकदीर हूं मैं तेरी
कोई हूं नही मैं खाब,
कोई हूं नही मैं खाब....!!
SoniA#
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