आज सूरज भी वही और आसमान भी वही
मगर वो बीता हुआ कोई भी नज़ारा नहीं
कभी सपना था मेरा सबसे जुड़ कर रहने का
मगर आज ऐसा कोई सपना हमारा नहीं
लोग हैसीयत देखकर दोस्ती निभाते हैं
जिसकी हैसीयत नही उसका कोई सहारा नही
जो मेरी दोस्ती को अपनी हैसीयत से आँके
ऐसे लोगों के लिए मेरे दिल में कोई ठिकाना नही
नये दोस्त बनाने का हमें शौंक नही
और जो याद रह सके एसा कोई दोस्त पुराना नही
मेरे अपनो में से चंद लोग ही अपने हैं
बाकी गैरों से मेरा कोई याराना नही
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