पूछा एक सवाल मैने ज़िन्दगी से
क्यों मुझसे इतनी नफरत है तुझे
ज़िन्दगी ने भी हस कर जवाब दिया मुझे
नफरत तुझ से नही तेरे वक्त से है
नाराज़गी तुझसे नही तेरे अन्दर के शख्स से है
जो मुझे जीना तो चाहता है मगर जीता नही
मैं एक मीठा ज़हर हु जो वो पीता नही
फटे है जो पन्ने मेरी किताब के
उन्हे फिर से सीना सीखो
सबसे नायाब तोहफा हु मै का
मुझे खुल कर जीना सीखो
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