Sunday 31 December 2017

ਦਿਲਾ

ਲੋਕ ਤਾਂ ਦਿਲ ਚ ਧੁੱਖਦੀ ਗੱਲ ਵੀ
ਬਿਨਾ ਜੁਬਾਨ ਤੋਂ ਕਹਿ ਜਾਂਦੇ ਨੇ
ਠੋਕਰ ਤਾਂ ਬੰਦਿਆਂ ੳਦੋਂ ਲਗਦੀ ਏ
ਜਦੋਂ ਆਪਣੇ ਦਿਲ ਦੇ ਜਜ਼ਬਾਤ ਫਿਰ
ਬਿਨਾ ਕਹੇ ਹੀ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਨੇ

ਦੁਨੀਆਂ ਅਣਜਾਣ ਨਹੀਂ ਝੱਲਿਆ
ਅਣਜਾਣ ਤਾਂ ਬਸ ਤੂ ਹੀ ਬਣੀ ਬੈਠਾਂ ਏਂ
ਨਾ-ਉਮੀਦ ਸੁਪਨਿਆਂ ਤੇ ਐਤਬਾਰ
ਪਤਾ ਨਹੀ ਦਿਲਾ! ਤੂ ਕਿਉਂ ਕਰੀ ਬੈਠਾਂ ਏਂ

ਰਾਹ 'ਚ ਚੁਭਦੀਆਂ ਸੂਲਾਂ ਦਾ
ਮੇਰੇ ਕਦਮਾ ਨੂੰ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀ
ਜਮਾਨਾ ਤਾਂ ਦਿਲਾ!
ਹੈਸਿਅਤ ਵੇਖਦਾ ਏ
ਚੰਗੇ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਇੱਥੇ ਕੋਈ ਕਦਰ ਨਹੀ

ਮੈਨੂੰ ਲਗਦਾ ਏ ਬੋਲ ਕੇ ਦੱਸਣ
ਤੇ ਲਿਖ ਕੇ ਸਮਝਾਉਣ 'ਚ ਫਰਕ ਹੁੰਦਾ ਏ
ਜ਼ੁਬਾਨ ਕਈ ਵਾਰ ਬੋਲਣ ਵੇਲੇ ਝੱਕ ਜਾਂਦੀ ਏ
ਪਰ ਕਲਮ ਦਾ ਬਿਨਾ ਝਕੇ
ਲਿਖਣ ਦਾ ਅਸੂਲ ਸਖ਼ਤ ਹੁੰਦਾ ਏ__!!!

Saturday 30 December 2017

ਜਜ਼ਬਾਤ

ਕਈ ਵਾਰ ਸਵਾਲ ਚ' ਈ ਲੁਕਿਆ ਹੁੰਦਾ ਏ ਜਵਾਬ
ਪਰ ਗੱਲ ਤਾਂ ਇੱਥੇ ਜ਼ੁਬਾਨ ਤੇ ਸਵਾਲ ਰੱਖਣ ਦੀ ਏ

ਦੁਨੀਆ ਸੋਚਦੀ ਏ ਸਾਨੂੰ ਜਵਾਬ ਦੇਣਾ ਨਹੀ ਆਉਂਦਾ
ਪਰ ਗੱਲ ਇੱਥੇ ਅਗਲੇ ਦਾ ਮਾਣ ਰੱਖਣ ਦੀ ਏ

ਜ਼ੁਬਾਨੋਂ ਬੋਲਣ ਨਾਲ ਰਿਸ਼ਤੇ ਕਦੇ ਨਹੀ ਨਿਭਦੇ
ਗੱਲ ਤਾਂ ਇਥੇ ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦਾ ਖਿਆਲ ਰੱਖਣ ਦੀ ਏ

ਮਿੱਠਾ ਬੋਲ ਕੇ ਜ਼ਹਰ ਉਗਲਣ ਨਾਲ ਕੀ ਮਿਲਣਾ
ਗੱਲ ਤਾਂ ਯਾਰਾ! ਬਸ ਦਿਲ 'ਚ ਮਿਠਾਸ ਰੱਖਣ ਦੀ ਏ

ਖਿਆਲਾਂ ਦਾ ਪੱਲੜਾ ਤਾਂ ਡਗਮਗਾਉਂਦਾ ਈ ਰਹਿੰਦਾ ਏ
ਪਰ ਗੱਲ ਦਿਲ 'ਚ ਸੋਹਣੇ ਵਿਚਾਰ ਰੱਖਣ ਦੀ ਏ---!!

Thursday 28 December 2017

keep a positive perception

Worry is just like a thief
That will rob your sleep
No matter what you face
Trust to God and his grace
People can speak defeat all day long
But in front of them you've to be strong
Don't let your feelings be a toy
Else people will use it for their joy.!!

Monday 25 December 2017

God is God

God doesn't express his love
Since his love is secretive,
He prevents us from relapsed
Because his intention is preventive...
Here human imprecates human
Heart of human has become agressive,
But God is God who gives us shelter
Because his attention isn't regressive...
In the midst of challenges 
We need favour of God,
Blessings of honour the Lord bestows,
No good things he withholds....
Why he puts hurdles in our way
And use people to hurt us along,
So that we can realize
How much we are strong..!!!

Saturday 23 December 2017

चलने के तकाज़े ही कम थे

मेरा दिल ज़रा वफादारी का महुताज़ था, 
पर ज़माने को मेरी इसी बात से एतराज़ था,
ज़िन्दगी थी ख़फा कुछ नसीब भी नाराज़ था,
ग़लती मेरी नही बस थोड़ा वक्त ही खराब था---

थी चाहत में मासुमियत और मिजाज़ थे नरम से,
खुश रहना सीखा चाहे दिल में हज़ार ग़म थे,
मेरी खवाहिशें भी आज़माती रहीं मुझे हर कदम पे,
राहें थी तमाम पर चलने के तकाज़े ही कम थे---

दर्द ब्याँ न हो जाए इसीलिए मैने लबों को सी लिया,
बहने से पहले ही हर आँसू मेरी आँखों ने पी लिया,
ग़म में हसना और तनहाई में रोना सीख लिया, 
खो कर आवाज़ मैने खामोशी को जीत लिया---

पर अब जाकर समझा है दिल कुछ ऐसे॰॰॰

जैसे सूरज था जो सदियों पहले आज भी वही है,
वैसे ही मजबूत रखने होंगे इरादे इन्हें बदलना नही है,
माना मुकाम हैं अलग और मंज़िलें भी नईं हैं,
अब मुझे ही चुननी है वो राहें जो मेरे लिए सही हैं--!!

Sunday 17 December 2017

ऐ मन!

टूटी हुई डाली पे फूल दोबारा नही खिला करते
इश्क के कच्चे धागों से सच्चे रिश्ते नही सिला करते
छोड़ना हो अगर साथ तो झूठे दावे नही किया करते
क्योंकि इरादों के पक्के लोग झूठे सपने नही जिया करते

प्यार जैसे लफ़ज़ से जब यकीं उठ जाता है
दूनिया का हर रिश्ता तब धुन्दला सा नज़र आता है
आजकल रिश्तों में सच्चाई कम फरेब ज़्यादा है
ता-उम् साथ निभाना अब कहाँ किसी को आता है

गुज़ारिश है लोगों से मेरी कि॰॰॰॰
जो निभा न पाओ उन वादों का कभी इकरार न करना
वफा की पीठ पे धोखे के खंजर से कभी वार न करना
अपना वक्त बिताने के लिए कबी दूसरों का बरबाद न करना

ऐ मन!
बस तू मतलबी दुनियां से
वफादारी की कभी फरियाद न करना
जो सुनना ही न चाहे, उससे दर्द का इज़हार न करना
तेरे दर्द में निकला एक भी आँसू
तु इस दुनिया के लिए कभी बरबाद न करना____!!!
                
                SoniA#

Saturday 16 December 2017

मुझे कोई फर्क नही पड़ता

कोई मुझे सही कहे या ग़लत
अब इस बात से मुझे कोई फर्क नही पड़ता,

थक गई हू खाबों का सफर करते करते
अब ज़रा सा भी और चलने को मेरा मन नही करता,

गिला रब्ब से नही हर उस शख्स से है
जो किसी के जज़बातों की कोई कद् नही करता,

ग़लती से हुईं मेरी ग़लतियाँ याद रखते हैं सब
पर मेरी अच्छाई को कोई याद नही रखता,

किसी पे दोष मैं क्या लगाऊँ
मेरा तो खुद पे ही इलज़ाम लगा कर जी नही भरता,

खुद से ज़्यादा भरोसा कर बैठी थी मैं ग़ैरों पर
ऐसा मिला सबक कि अब ग़ैरों पे तो क्या
खुद पर भी यकीं करने को जी नही करता___!!  
                                                               SoniA#
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रात भी उदास है

तारों का झुंड क्यों
चाँद के खिलाफ है,
लग रहा है तारे
आज चाँद से नाराज़ हैं,
सूना है आसमाँ और
रात भी उदास है,
क्यों हवाएं भी हैं गुम
और राहें भी सुनसान हैं,
लग रहा है आज शोर भी
खामोशी का महमान है,
न कोई महफिल
न महफिल की बहार है,
मेरे दिल ने भी खोल रखा
आज यादों का बाज़ार है,
न चाहते भी बन गया दिल
इन यादों का गुलाम है,
दिल में है जगह कम
पर यादें बेहिसाब हैं,
गूंजते है दिल में सवाल
पर ये लब चुपचाप हैं,
दिन गुज़र गया सोच में
और ख्यालों में डूबी शाम है,
लग रहा है तारे आज
चाँद से नाराज़ हैं,
सूना है आसमाँ और
रात भी उदास है___!!!      SoniA#
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Tuesday 12 December 2017

जिनका रिश्ता हो वफा से

जो लोग छोड़ कर चले जाते हैं
वो फिर कभी 
पलट कर देखा नहीं करते 
जिनका रिश्ता हो वफा से 
वो अपने जज़बातों को 
बेकदरों के हाथ में 
बेचा नही करते 
चुभने लग जाएं 
जब अपने ही टूटे हुए खाब
तो उन खाबों के टुकड़ों को 
दोबारा समेटा नही करते
बिखर जाने दो 
अपना हर एहसास
पर बिखर कर फिर से 
जुड़ जाने वाले एहसासों 
अनदेखा नही करते

Saturday 9 December 2017

कहाँ रखता है कोई अपनेपन का एहसास

चाहे हद से ज़्यादा घाव हों सीने में 
फिर भी उन घावों को छुपाना पड़ता है 
आँसू आँख से न झलक जाएं कहीं 
इसीलिए इन्हें दिल में बहाना पड़ता है 
कोई निगाहों से न पढ़ ले मेरा दर्द 
तभी तो निगाहों को झुकाना पड़ता है
अपने जब ग़ैर होने लग जाएं
तब अपने जज़बातों को दफनाना पड़ता है 
कहाँ रखता है कोई अपनेपन का एहसास
जहां तो लोगों को 
रिश्तों को भोज़ समझ कर निभाना पड़ता है

Thursday 7 December 2017

मुकर गए ऐसे

रह गए कुछ मेरे अधूरे सवाल
पर फिर भी दिल में उनका मलाल
ज़रा भी न था
जब खामोशी बन गई मेरी ज़ुबाँ
फिर लोगों ने वो भी सुना
जो मैने कभी कहा ही न था
गिरगिट की तो फितरत है रंग बदलना
पर यहां लोग भी रंग बदल लेंगे
इस बात का मुझे पता ही न था
फरेब से सजाई थी लोगों ने
चाहत की महफिल
फिर मुकर गए ऐसे
जैसे उस महफिल में कदम
कभी उन्होंने रखा ही न था 

Friday 1 December 2017

अगर मेरी तकदीर में



मेरे ज़मीर का रुतबा आज कम न होता 
अगर मेरी तकदीर में 
इसे बचाने का ग़म न होता 
कुछ अपनी उमीदें भी रुलाती हैं 
हर बार रुलाने वाला दर्द नहीं होता  
अपना ग़म खुद से ही बाँटती हु
क्योंकि हर किसी के पास 
ग़म बाँटने के लिए हमदर्द नही होता 
थोड़ा खुदगर्ज़ हो गया है ज़माना 
पर सच्च ये भी है कि ज़माने में
हर इन्सान खुदगर्ज़ नही होता

बहुत बार सोचा


बहुत बार सोचा मत देखुं कोई खाब 
न जाने खुशी की आग़ोश में 
यह कब जुड़ जाते हैं 
देख कर बिखरा हुआ आँगन मेरे दिल का
उलटे पाँव वापिस मुड़ जाते हैं 
धोखा दे जाती हैं तब मेरी ही उमीदें मुझे 
जब हर चौखट के दरवाज़े 
मेरे लिए बन्द हो जाते हैं 
बहुत बार सोचा मत सोचुं कोई बात 
न जाने क्यों दिल और दिमाग हर बात
सोचने को रज़ामंद हो जाते हैं