Sunday, 17 December 2017

ऐ मन!

टूटी हुई डाली पे फूल दोबारा नही खिला करते
इश्क के कच्चे धागों से सच्चे रिश्ते नही सिला करते
छोड़ना हो अगर साथ तो झूठे दावे नही किया करते
क्योंकि इरादों के पक्के लोग झूठे सपने नही जिया करते

प्यार जैसे लफ़ज़ से जब यकीं उठ जाता है
दूनिया का हर रिश्ता तब धुन्दला सा नज़र आता है
आजकल रिश्तों में सच्चाई कम फरेब ज़्यादा है
ता-उम् साथ निभाना अब कहाँ किसी को आता है

गुज़ारिश है लोगों से मेरी कि॰॰॰॰
जो निभा न पाओ उन वादों का कभी इकरार न करना
वफा की पीठ पे धोखे के खंजर से कभी वार न करना
अपना वक्त बिताने के लिए कबी दूसरों का बरबाद न करना

ऐ मन!
बस तू मतलबी दुनियां से
वफादारी की कभी फरियाद न करना
जो सुनना ही न चाहे, उससे दर्द का इज़हार न करना
तेरे दर्द में निकला एक भी आँसू
तु इस दुनिया के लिए कभी बरबाद न करना____!!!
                
                SoniA#

No comments: