बहुत बार सोचा मत देखुं कोई खाब
न जाने खुशी की आग़ोश में
यह कब जुड़ जाते हैं
देख कर बिखरा हुआ आँगन मेरे दिल का
उलटे पाँव वापिस मुड़ जाते हैं
धोखा दे जाती हैं तब मेरी ही उमीदें मुझे
जब हर चौखट के दरवाज़े
मेरे लिए बन्द हो जाते हैं
बहुत बार सोचा मत सोचुं कोई बात
न जाने क्यों दिल और दिमाग हर बात
सोचने को रज़ामंद हो जाते हैं
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