Thursday 7 December 2017

मुकर गए ऐसे

रह गए कुछ मेरे अधूरे सवाल
पर फिर भी दिल में उनका मलाल
ज़रा भी न था
जब खामोशी बन गई मेरी ज़ुबाँ
फिर लोगों ने वो भी सुना
जो मैने कभी कहा ही न था
गिरगिट की तो फितरत है रंग बदलना
पर यहां लोग भी रंग बदल लेंगे
इस बात का मुझे पता ही न था
फरेब से सजाई थी लोगों ने
चाहत की महफिल
फिर मुकर गए ऐसे
जैसे उस महफिल में कदम
कभी उन्होंने रखा ही न था 

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