Saturday 16 December 2017

रात भी उदास है

तारों का झुंड क्यों
चाँद के खिलाफ है,
लग रहा है तारे
आज चाँद से नाराज़ हैं,
सूना है आसमाँ और
रात भी उदास है,
क्यों हवाएं भी हैं गुम
और राहें भी सुनसान हैं,
लग रहा है आज शोर भी
खामोशी का महमान है,
न कोई महफिल
न महफिल की बहार है,
मेरे दिल ने भी खोल रखा
आज यादों का बाज़ार है,
न चाहते भी बन गया दिल
इन यादों का गुलाम है,
दिल में है जगह कम
पर यादें बेहिसाब हैं,
गूंजते है दिल में सवाल
पर ये लब चुपचाप हैं,
दिन गुज़र गया सोच में
और ख्यालों में डूबी शाम है,
लग रहा है तारे आज
चाँद से नाराज़ हैं,
सूना है आसमाँ और
रात भी उदास है___!!!      SoniA#
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