Tuesday 3 October 2017

ऐसी मेरी आदत नहीं

मैं किसी का दिल दुखाऊँ 
किसी को नुकसान पहुचाऊँ 
एसी मेरी आदत नही
बेवजह औरों की तरह 
मैं भी मुँह फेर जाऊँ
तो मेरे लिए 
इस से बड़ी कोई लाहनत नही
लाख बुरा कर जाए 
चाहे कोई मेरे साथ 
मगर मैं उनका बुरा चाहूँ
ऐसी मेरी कोई साजिश नही
दूसरों की तकलीफ समझ कर
नासमझी का ढोंग रचाऊँ
ऐसा मेरे दिल को वाजिब  नहीं

1 comment:

Anonymous said...

WORDS OF SELF TRUST