Tuesday 24 October 2017

तमाम हसरतें


दिल में है यादों का सागर

आँख नदिया सी बहती हैं
क्यों आज भी मेरे दिल में 
हसरतें तमाम रहती हैं
मैं क्या जानुँ कि 
मेरी तकदीर क्या कहती है 
बस हौसले बुलन्द रख अपने
मुझसे यह मेरी सोच कहती है 
मत सोच दुनिया के बारे में 
कहने दे इसे ये जो भी कहती है 
फ़रेब का नकाब औढ़े बैठे हैं लोग
क्या पता फिर से
कौन कब कहाँ धोखा दे जाए 
दिल को हर वक्त बस यही बेचैनी सी रहती है

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