दिल में है यादों का सागर
आँख नदिया सी बहती हैं
क्यों आज भी मेरे दिल में
हसरतें तमाम रहती हैं
मैं क्या जानुँ कि
मेरी तकदीर क्या कहती है
बस हौसले बुलन्द रख अपने
मुझसे यह मेरी सोच कहती है
मत सोच दुनिया के बारे में
कहने दे इसे ये जो भी कहती है
फ़रेब का नकाब औढ़े बैठे हैं लोग
क्या पता फिर से
कौन कब कहाँ धोखा दे जाए
दिल को हर वक्त बस यही बेचैनी सी रहती है
No comments:
Post a Comment