मुझे लगाव हुआ
हर उस चीज़ से
जो मेरी कभी थी ही नही
अरे मैं तो रस्ता तक
नाप कर बैठ गई
उस मंज़िल तक जाने का
जो मंज़िल मेरी तकदीर में
कभी थी ही नही
मेरी भी कभी कद्र होगी
ऐसा "मैं" सोचती थी
मगर मिली ऐसी बेकद्री
कि जिसकी उमीद भी मैने
कभी की ही नहीं
करती रह गई दूसरों की परवाह
मगर आज तक मेरी परवाह
किसी ने कभी की ही नही
3 comments:
Very Well Said , you are awesome, Proud of you....!
Add little more Positivity ....You Rocks
Your FAN ..Ramesh
thanx a lot..it means a lot that you are liking my work..
i need your this kind of support jiju..
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