Wednesday 4 October 2017

हम नही जानते

हमसे चाहता क्या है दिल
यह तो हम भी नही जानते
क्या करेंगे रख कर
ग़ैरों पर उमीद
जब वो हमें
अपना ही नहीं मानते
कौन, कब, कहाँ,
क्यों साथ छोड़ गया!!
ऐसी फिज़ूल बातों को
अब हम दिल में नही पालते
खुद को लाचार बना बैठे थे
दूसरों को खुश करते करते
मगर अब
ऐसे व्यरथ कामों में
हम अपना वक्त नहीं गुज़ारते

2 comments:

Ramesh bhagat said...

Great Lines ............!

Sonia Writing Zone said...

thank you so much... iam so glad that you comment here