Saturday 28 October 2017

अगले मोड़ पर

क्यों हमारी ज़िन्दगी में ऐसे दौर आतें हैं 
जो हस्ती हस्ती आँखों में आंसू ले आते हैं 
लाख कोशिश कर ले चाहे इन्सान 
मगर वक़्त के हाथों 
ज़िन्दगी की किताब के 
कुछ पन्नें अपने आप ही पलट जातें हैं 
हसरतें रखने का शौंक 
तो कब से मिटा लिया हमनें  
अब बचे अरमानों पर यकीं 
हम कहाँ कर पातें हैं 
चलने की कोशिश करेंगे हम भी 
जैसे लोग चलते हैं 
देखते हैं  कब तक लोग हमें 
याद रख पाते हैं 
हम तो भूलने से रहे 
अपनी सजा का मंज़र 
जानना अब यह है कि 
अगले मोड़ पर हम 
किसको पीछे छोड़ जातें हैं 
और किसको 
अपने साथ खड़ा पातें हैं  

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