क्यों हमारी ज़िन्दगी में ऐसे दौर आतें हैं
जो हस्ती हस्ती आँखों में आंसू ले आते हैं
लाख कोशिश कर ले चाहे इन्सान
मगर वक़्त के हाथों
ज़िन्दगी की किताब के
कुछ पन्नें अपने आप ही पलट जातें हैं
हसरतें रखने का शौंक
तो कब से मिटा लिया हमनें
अब बचे अरमानों पर यकीं
हम कहाँ कर पातें हैं
चलने की कोशिश करेंगे हम भी
जैसे लोग चलते हैं
देखते हैं कब तक लोग हमें
याद रख पाते हैं
हम तो भूलने से रहे
अपनी सजा का मंज़र
जानना अब यह है कि
अगले मोड़ पर हम
किसको पीछे छोड़ जातें हैं
और किसको
अपने साथ खड़ा पातें हैं
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