लोग कहते हैं कि मैं
अपनी हसी के पिछे
हर ग़म छुपा लेती हुँ
गिली होने से पहले ही
अपनी पलकों को सुखा लेती हुँ
अरे यह कोई हुनर नही
बलकि कमज़ोरी है मेरी
जो याद आने से पहले ही
लोगों से खाए धोखे को भुला देती हुँ
खुद ही कम हो जाता है दरद जब
बीते लमहों का सफ़र
मैं अपनी शायिरी में सुना देती हुँ
हर बार रोई हुँ
हर उस चीज़ को खोकर
जिसे कुछ हद् से ज्यादा ही
मैं चाह लेती हुँ
बस खुश रहे हर वो शख्स
जो मुझसे जुड़ा है
अपने दिल से मैं सबको
यही दुआ देती हुँ
अपनी हसी के पिछे
हर ग़म छुपा लेती हुँ
गिली होने से पहले ही
अपनी पलकों को सुखा लेती हुँ
अरे यह कोई हुनर नही
बलकि कमज़ोरी है मेरी
जो याद आने से पहले ही
लोगों से खाए धोखे को भुला देती हुँ
खुद ही कम हो जाता है दरद जब
बीते लमहों का सफ़र
मैं अपनी शायिरी में सुना देती हुँ
हर बार रोई हुँ
हर उस चीज़ को खोकर
जिसे कुछ हद् से ज्यादा ही
मैं चाह लेती हुँ
बस खुश रहे हर वो शख्स
जो मुझसे जुड़ा है
अपने दिल से मैं सबको
यही दुआ देती हुँ
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