कौन रखता है याद पुरानी बातों को
जब वक्त बदल जाता है
गुज़रे वक्त को अक्सर भूला देते हैं लोग
जब उनका अच्छा वक्त आता है
मेरे जैसे चेहरे
तब अजनबी लगने लगते हैं
जब लोगों का मतलब निकल जाता है
कैसे कह दूँ कि इन्सान पक्का है
अपनी ज़ुबान का
जब कि वक्त बदलते ही
वो अपनी ज़ुबान से मुकर जाता है
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