Monday 23 October 2017

क्या कर सकते हैं


अगर कोई युन्ही गिर जाए तो उठा भी लें 
मगर जब कोई नज़रों से ही गिर जाए 
तो क्या कर सकते हैं 
सुनाने को तो हज़ार गिले 
दबा कर रखे हैं दिल में 
मगर जब कोई  सुनना ही न चाहे 
तो क्या कह सकते हैं 
साथ देने वाले का साथ 
हम उमर भर निभाएंगे 
मगर जब वो खुद ही  पिछे हट जाए
तो क्या कर सकते हैं 
माना अभी कम है अनुभव मुझे लोगों को समझने का 
मगर जब न चाहते हुए ही
अनुभव आ  जाए 
तो क्या कर सकते हैं

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