क्या खो दिया क्या पा लिया
एसी बातों को
तुम मन में मत सोचो,
मुकद्दर में छिपी है जो मंज़िल
उसे गैरों के नही
अपने बलबूते पर खोजो,
दुनिया चल रही है कैसे
बस ज़रा खाबों से
बाहर निकल कर देखो,
हाथों में बिछीं
हुनर की लकीरों को
तुम वक्त के हाथ मत बेचो॰॰॰॰
SoniA#
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