Friday 27 April 2018

मकस्द है मेरा

डरता था दिल पहले
कुछ रिश्तों के
दूर होने से,
सहम जाता था दिल
मेरे ज़रा सा
उदास होने पे,
मगर अब फर्क नही पड़ता
कुछ पाने से
या खोने से,
दिल हो चुका है
दिवाना पत्थर का
लगाव नही इसे
अब किसी काँच के खिलौने से,
मकस्द है मेरा
अपनी मस्ती में मस्त रहूं
क्योंकि अब कुछ
हासिल नही होगा
मेरे और रोने से !!!!
                  SoniA#

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